Bharti Bhawan Political Science Class-9:Chapter-10:Very Short Type Question Answer:Short Type Question Answer:Long Answer Type Question Answer:राजनीति शास्त्र:कक्षा-9:अध्याय-10:अति लघु उत्तरीय प्रश्न उत्तर:लघु उत्तरीय प्रश्न:दीर्घ उत्तरीय प्रश्न



राज्य विधानमंडल




अतिलघु उत्तरीय प्रश्न







1. बिहार विधानमंडल का निम्न सदन और उच्च सदन का नाम क्या है? 
उत्तर:-बिहार विधानमंडल का निम्न सदन का नाम विधानसभा और उच्च सदन नाम विधानपरिषद है|
2. विधानसभा के सदस्यों की योग्यता क्या है? 
उत्तर:-भारत का नागरिक हो, कम से कम 25 वर्ष की उम्र का होना चाहिए|
3. विधानपरिषद के सदस्यों की योग्यता क्या है? 
उत्तर:- भारत का नागरिक हो, कम से कम 30 वर्ष की उम्र का होना चाहिए|
4. विधेयक कितने प्रकार के होते हैं? 
उत्तर:-2
5. धन विधेयक किसे कहते हैं? 
या, धन विधेयक क्या है? 
उत्तर:-विधेयक दो प्रकार के होते हैं——साधारण विधेयक और धन विधेयक|
धन विधेयक उस विधेयक को कहते हैं जिसका संबंध सरकार के आय व्यय, हिसाब किताब, निधियों की जांच इत्यादि से जुड़ा हुआ हो| निम्नलिखित विषयों को धन विधेयक की श्रेणी में रखा जाता है———–
कर लगाने, उसे घटाने बढाने अथवा उसे संशोधन संबंधी विषय
भारत सरकार पर आर्थिक बोझ डालने या ऋण से संबंधित विषय
भारत सरकार की संचित निधि पर किसी खर्च का भार लादने अथवा उनमें से किसी खर्च हेतु धन की स्वीकृति से संबंधित विषय
भारत सरकार की संचित निधि अथवा आकस्मिक निधि को सुरक्षित रखने अथवा उससे धन निकालने से संबंधित विषय
भारत सरकार के खाते में धन जमा करने अथवा उनमें से खर्च करने अथवा उसकी जांच से संबंधित विषय
कोई भी धर्म विधेयक है अथवा नहीं, इस बात का अंतिम लोकसभा का अध्यक्ष करता है|
लघु उत्तरीय प्रश्न







1. विधानसभा के दो अधिकारों को लिखें|
या, बिहार की विधानसभा के कार्यों का संक्षेप में वर्णन करें|
उत्तर:- प्रत्येक राज्य की राजधानी में विधानसभा अवस्थित होती है| बिहार विधानसभा निम्नलिखित कार्यों का संपादन करती है|
कानूनों का निर्माण—–
कानूनों का निर्माण करना विधानसभा का एक प्रमुख कार्य है| विधानसभा ही राज्य सूची में वर्णित विषयों पर कानून बनाती है| सर्वप्रथम कानून बनाने के लिए विधेयक के रूप में एक प्रस्ताव विधानसभा के समक्ष उपस्थित किया जाता है| विधानसभा से पास होने पर वह विधेयक विधानपरिषद के पास भेज दिया जाता है| इस प्रकार, दोनों सदनों से पास हो जाने पर उसे हस्ताक्षर हेतु राज्यपाल के पास भेज दिया जाता है और उसपर राज्यपाल का हस्ताक्षर हो जाने के बाद वह विधेयक कानून बन जाता है|
कार्यपालिका पर नियंत्रण——-
मंत्रिमंडल के सदस्य अपने कार्यों के लिए विधानसभा के प्रति उत्तरदायी होते हैं| मंत्रियों से प्रश्न पूछकर, काम रोको प्रस्ताव तथा कटौती का प्रस्ताव लाकर विधानसभा कार्यपालिका पर नियंत्रण रखती है|
बजट पास करना—–
प्रत्येक राज्य का बजट विधानसभा ही पास करती है और यह तय करती कि किस विभाग को कितनी धनराशि प्रदान की जाए|
संविधान में संसोधन करना——
कुछ ऐसे संशोधक विधेयक भी होते हैं जिनपर संसद के साथ साथ विधानसभाओं की स्वीकृति भी आवश्यक होती है|
चुनाव में भाग लेना——
राष्ट्रपति, विधानसभा के अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष के चुनाव में विधानसभा के सदस्य भाग लेते हैं|
2. विधानमंडल के चार प्रकार के सदस्यों का उल्लेख करें|
उत्तर:-चार निम्नलिखित हैं—–
विधानपरिषद के कुल सदस्यों का एक तिहाई भाग उस राज्य की स्थानीय संस्थाओं नगरपालिकाओं, ग्राम पंचायतों इत्यादि द्वारा निर्वाचित किया जाता है|
परिषद के कुल सदस्यों का एक तिहाई भाग विधानसभा के सदस्यों द्वारा निर्वाचित किया जाता है|
परिषद को कुल सदस्यों का बारहवाँ भाग राज्य के विश्वविद्यालयों के स्नातकों द्वारा चुना जाता है|
कुल सदस्यों का बारहवाँ भाग माध्यमिक स्कूलों, कालेजों तथा विश्वविद्यालयों के शिक्षकों द्वारा निर्वाचित होता है|
3. विधानसभा का गठन किस प्रकार किया जाता है? 
उत्तर:-किसी राज्य की विधानसभा का गठन जनता द्वारा प्रत्यक्ष निर्वाचन पद्धति के आधार पर किया जाता है| निर्वाचन वयस्क मताधिकार के आधार पर होता है| संपूर्ण राज्य को एक अनेक विधानसभा क्षेत्रों में बांट दिया जाता है तथा प्रत्येक क्षेत्र से एक एक उम्मीदवार निर्वाचित होते हैं| बिहार विधानसभा में कुल 243 सदस्य हैं| विधानसभा के सदस्यों को विधायक कहा जाता है| विधानसभा को जनता की प्रतिनिधि सभा कहा जाता है| किसी भी राज्य की विधानसभा के सदस्यों की न्यूनतम संख्या 60 एवं अधिकतम 500 भारतीय संविधान द्वारा निर्धारित की गई है| विधानसभा का सदस्य वही हो सकता है जो भारत का नागरिक हो, जिसकी न्यूनतम उम्र 25 वर्ष हो तथा जो किसी लाभ के पद पर न हो| बिहार विधानसभा में अनुसूचित जातियों के लिए 39 स्थान सुरक्षित है| बिहार से झारखंड के अलग होने के बाद यहाँ अनुसूचित जनजातियों की संख्या नगण्य है| अत:, उनके लिए बिहार विधानसभा में एक भी सीट आरक्षित नहीं है|
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न







1. विधानसभा के गठन एवं कार्यों का वर्णन करें|
उत्तर:-प्रत्येक राज्य में विधानसभा की व्यवस्था है| बिहार की विधानसभा विधानमंडल का निम्न या प्रथम सदन है| यह बिहार की जनता की प्रतिनिधि सभा है|
सदस्यों की संख्या—-
विधानसभा में ज्यादा से ज्यादा 500 सदस्यों और कम से कम 60 सदस्यों के रहने की व्यवस्था की गई है| झारखंड राज्य बन जाने से बिहार विधानसभा के सदस्यों की संख्या 243 हो गई है| झारखंड विधानसभा में 81 सदस्य हैं|
सदस्यों की योग्यता——-
विधानसभा का सदस्य वही हो सकता है जो
भारत का नागरिक हो
कम से कम 25 वर्ष की उम्र का हो और
किसी लाभ के पद पर न हो
विधानसभा का निर्वाचन——
विधानसभा के सदस्यों का निर्वाचन प्रत्यक्ष ढंग से होता है| 18 वर्ष या उससे अधिक उम्र के सभी स्त्री पुरुषों को मतदान का अधिकार प्राप्त है| बिहार विधानसभा में 39 स्थान अनुसूचित जातियों के लिए सुरक्षित है|
विधानसभा के अधिकार एवं कार्य—–
विधानसभा को कयी प्रकार के कार्य करने पड़ते हैं| इसके अधिकार और कार्य निम्नलिखित हैं——
कानून बनाना—–
विधानसभा का प्रमुख कार्य राज्य के लिए कानून बनाना है| इसे राज्य सूची के विषयों पर कानून बनाने का अधिकार है| कानून बनाने के लिए विधेयक के रूप में प्रस्ताव विधानसभा के सामने उपस्थित किया जाता है| विधानसभा उसे पास कर विधानपरिषद के पास भेज देती है| दोनों सदनों द्वारा पास हो जाने पर उसे राज्यपाल के पास भेजा जाता है| राज्यपाल के हस्ताक्षर हो जाने के बाद वह कानून बन जाती है| 
कार्यपालिका पर नियंत्रण——
विधानसभा कार्यपालिका पर भी नियंत्रण रखती है| मंत्रिपरिषद के सदस्य अपने कामों के लिए विधानसभा के प्रति उत्तरदायी होते हैं| विधानसभा के सदस्यों को मंत्रियों से प्रश्न पूछने का अधिकार होता है| विधानसभा काम रोको और कटौती का प्रस्ताव पास कर सकती है| अविश्वास का प्रस्ताव पास हो जाने पर मंत्रिपरिषद भंग हो जाती है|
बजट पास करने का अधिकार—–
बजट भी विधानसभा के सामने ही उपस्थित किया जाता है| बजट पास हो जाने पर यह तय कर दिया जाता है कि किस विभाग को कितना खर्च करना है| विधानसभा की स्वीकृति के बाद ही कोई कर लगाया जा सकता है|
संविधान में संसोधन करना——
संविधान में संसोधन का अधिकार संसद को है| कुछ संशोधन विधेयकों पर संसद के दोनों सदनों के दो तिहाई बहुमत के साथ साथ विधानसभाओं की स्वीकृति भी आवश्यक है|
निर्वाचन में भाग लेना—–
कयी पदाधिकारियों के निर्वाचन में विधानसभा के सदस्य भाग लेते हैं| राष्ट्रपति, विधानसभा के अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष आदि के निर्वाचन में विधानसभा के सदस्य भाग लेते हैं|

2. विधानपरिषद के गठन एवं कार्यों का वर्णन करें|
उत्तर:-भारत के कुछ राज्यों; जैसे—-बिहार, उत्तर प्रदेश, जम्मू कश्मीर, महाराष्ट्र और कर्नाटक में विधानमंडल के दो सदन होते हैं| विधानपरिषद विधानमंडल का दूसरा या उच्च सदन है| यह सदन विभिन्न हितों का प्रतिनिधित्व करता है| बिहार में विधानपरिषद का गठन किया गया है|
सदस्यों की संख्या—-
विधानपरिषद के सदस्यों की संख्या कम से कम 40 हो सकती है| किसी विधानपरिषद के सदस्यों की अधिक से अधिक वहाँ की विधानसभा के सदस्यों की संख्या की एक तिहाई हो सकती है| बिहार विधानपरिषद के सदस्यों की संख्या 75 है| झारखंड में विधानपरिषद नहीं है|
सदस्यों की योग्यताएँ——-
विधानपरिषद का सदस्य वही हो सकता है जो
भारत का नागरिक हो
कम से कम 30 वर्ष की उम्र का हो और
किसी लाभ के पद पर नहीं हो
निर्वाचन——
विधानपरिषद का निर्वाचन निम्नलिखित ढंग से होता है–
विधानपरिषद के कुल सदस्यों का एक तिहाई भाग उस राज्य की स्थानीय संस्थाओं— नगरपालिकाओं, ग्राम पंचायतों इत्यादि—-द्वारा निर्वाचित किया जाता है|
परिषद के कुल सदस्यों का एक तिहाई भाग विधानसभा के सदस्यों द्वारा निर्वाचित किया जाता है|
परिषद के कुल सदस्यों का बारहवाँ भाग राज्य के विश्वविद्यालयों के स्नातकों द्वारा चुना जाता है|
कुल सदस्यों का बारहवाँ भाग स्कूलों, कालेजों तथा विश्वविद्यालयों के शिक्षकों द्वारा निर्वाचित होता है|
कुल सदस्यों का छठा भाग राज्यपाल द्वारा मनोनीत किया जाता है| राज्यपाल ऐसे लोगों को विधानपरिषद में मनोनीत करता है जिन्हें साहित्य, कला, समाजसेवा आदि का व्यावहारिक अनुभव हो|
विधानपरिषद के अधिकार एवं कार्य——-
विधानसभा की तुलना में विधानपरिषद के अधिकार सीमित है| इसके अधिकार और कार्य निम्नलिखित प्रकार के है—–
कानून बनाना—–
कानून बनाने में विधानपरिषद भी भाग लेती है| सभी विधेयक विधानपरिषद के पास आते हैं| दोनों सदनों से पास होने के बाद ही विधेयक पास माना जाता है| विधानपरिषद विधेयक को कुछ दिनों के लिए रोक सकती है, परंतु विधेयक के पास होने में बाधक नहीं हो सकती|
कार्यपालिका पर नियंत्रण——
मंत्रियों से प्रश्न पूछने का अधिकार विधानपरिषद के सदस्यों को भी है| परंतु, विधानपरिषद मंत्रियों के खिलाफ अविश्वास का प्रस्ताव नहीं ला सकती है|
धन विधेयक पास करना—–
विधेयक के दो प्रकार होते हैं| रुपये पैसे से संबंधित विधेयकों को धन विधेयक कहा जाता है| धन विधेयक के मामले में विधानपरिषद के अधिकार नहीं के बराबर है| धन विधेयक विधानसभा में पहले रखा जाता है| विधानसभा से पास होने के बाद विधानपरिषद के पास भी उसे भेजा जाता है| विधानपरिषद उसे 14 दिनों से अधिक नहीं रोक सकती | विधानपरिषद धन विधेयक पास कर या संसोधन के साथ विधानसभा को लौटा देती है| उसके संसोधन को मानना या न मानना विधानसभा की इच्छा पर निर्भर है| विधानपरिषद एक शक्तिहीन सदन है| बहुत से लोग इसे उठा देने के पक्ष में है| परंतु इस सदन से कुछ फायदे भी है| इसी कारण यह अभी तक कायम है|
3. विधानमंडल में विधि निर्माण प्रक्रिया का वर्णन करें|
उत्तर:-
विधेयक—-
विधानमंडल में कानून बनाने के लिए जो प्रस्ताव प्रस्तुत होता है उसे विधेयक या बिल कहते हैं| विधेयक दो प्रकार के होते हैं——साधारण विधेयक और धन विधेयक| साधारण विधेयक दो प्रकार के होते हैं———–सरकारी विधेयक तथा गैरसरकारी विधेयक| मंत्रिपरिषद के सदस्यों द्वारा पुनः स्थापित कोई विधेयक सरकारी विधेयक कहलाता है तथा विधानमंडल में अन्य सदस्यों—-जो मंत्रिपरिषद के सदस्य नहीं है—-द्वारा पुनः स्थापित विधेयक को गैरसरकारी विधेयक कहा जाता है| धन या वित्त विधेयक को छोड़कर सभी प्रकार के विधेयक विधानमंडल के किसी भी सदन में पुनः स्थापित किए जा सकते हैं|
विधेयक के वाचन—-
प्रत्येक विधेयक के तीन वाचन होते हैं| तीनों वाचन समाप्त होने के बाद विधानसभा की स्वीकृति मिलने पर विधेयक दूसरे सदन में भेजा जाता है| कोई भी विधेयक जब तक दोनों सदनों द्वारा पारित न हो जाए तब तक वह विधानमंडल द्वारा पारित नहीं समझा जाता|
राज्यपाल की स्वीकृति——
कोई भी विधेयक राज्यपाल की स्वीकृति के बिना कानून नहीं बन सकता| जब कोई विधेयक विधानमंडल से पास हो जाता है तब वह राज्यपाल के पास स्वीकृति के लिए भेजा जाता है| कुछ विधेयकों को राज्यपाल राष्ट्रपति के विचारार्थ रोक भी सकता है|
धन विधेयक की प्रक्रिया——
धन विधेयक के लिए विशेष प्रक्रिया रखी गई है| धन विधेयक केवल विधानसभा में पुनः स्थापित किया जाता है, विधानपरिषद में नहीं| कोई विधेयक धन विधेयक है या नहीं इसका निर्णय विधानसभा का अध्यक्ष करता है| जब विधानसभा किसी धन विधेयक को पास कर देती है तो वह विधानपरिषद में भेजा जाता है| विधानपरिषद उसे अधिक से अधिक 14 दिनों तक रोककर रख सकती है, लेकिन अस्वीकृत नहीं कर सकती |

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