लोकतंत्र की चुनौतियाँ
अतिलघु उत्तरीय प्रश्न
1. विधि का शासन क्या है?
उत्तर:-
विधि के शासन से तात्पर्य यह है कि लोकतंत्र में सरकार संविधान द्वारा निर्दिष्ट अधिकारों के अनुसार ही जनता पर शासन करे| इस सिद्धांत के अनुसार सरकार को जनता के प्रति उत्तरदायी बनाया गया| पहले राजतंत्रात्मक व्यवस्था में राजा ही समस्त शक्तियों का स्रोत होता था लेकिन लोकतंत्र में सरकार मनमानी नहीं कर सकती है|
2. बूथ छापामारी से क्या समझते हैं?
उत्तर:-
चुनावी दंगल में बूथ छापामारी वह दांव है जिसे कोई उम्मीदवार दूसरे उम्मीदवार को हराने के लिए लगता है| जिस उम्मीदवार के पास ताकत है, जिसका बोलवाला है उसके समर्थक बूथों पर छापामारी करके सारे मत अपने पक्ष में डलवाने में समर्थ हो जाती है|
3. व्यक्ति की गरिमा का अर्थ है|
उत्तर:-
सम्मान
4. लोकतंत्र से जनता की सबसे बड़ी अपेक्षा क्या है?
उत्तर:-
लोकतंत्र से जनता की अनेक अपेक्षाएँ है लेकिन जो सबसे बड़ी अपेक्षा है वह है जनता को लोकतांत्रिक व्यवस्था में आर्थिक समस्याओं से जूझना नहीं पड़े| आर्थिक स्वतंत्रता ही लोकतंत्र का आधार है| भूखे व्यक्ति के लिए लोकतंत्र का कोई महत्व नहीं रह जाता है|
5. परिवारवाद क्या है?
उत्तर:-
जब किसी राजनीतिक दल द्वारा अपने ही परिवार के विभिन्न लोगों को सत्ता में विभिन्न पदों पर आसीन कर दिया जाता है तो ऐसे पक्षपात को परिवारवाद कहते हैं|
6. आर्थिक अपराध का अर्थ स्पष्ट करें—-
उत्तर:-
ऐसे अपराध जो मुद्रा के अवैध व्यापार करों(टैक्सों) की चोरी इत्यादि से जुड़ा हो आर्थिक अपराध कहलाता है|
7. लोकतंत्र जनता का जनता के द्वारा जनता के लिए शासन है|कैसे?
उत्तर:-
इसमें जनता चुनावों के माध्यम से अपने प्रतिनिधियों की चुनती है और वे ही सत्ता का संचालन करते हैं|
8. क्षेत्रवाद क्या है?
उत्तर:-
यह पक्षपात से उत्पन्न ऐसी है, जो किसी क्षेत्र विशेष की जनता से यह भावना उत्पन्न करती है कि उसका क्षेत्र ही सर्वश्रेष्ठ है और बाकी सब साधारण| इसके कारण सामाजिक विषमताएँ पैदा हो जाती है जो किसी भी लोकतंत्र के लिए खतरनाक है|
लघु उत्तरीय प्रश्न
1. लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था के समक्ष उपस्थित तीन चुनौतियों का संक्षिप्त विवरण दें——
उत्तर:-
मौलिक आधार बनाने की चुनौती——
अनेक देश आज भी राजशाही, तानाशाही और फौजी शासन के अधीन है जहाँ लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था को अपनाने का प्रयास चल रहा है| ऐसे देशों में लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था के लिए तैयार कराने के लिए मौलिक आधार बनाना आवश्यक है जिससे लोकतांत्रिक सरकार का गठन किया जा सके|
विस्तार की चुनौती——
लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था के सामने दूसरी चुनौती इसके विस्तार की है| केन्द्र, इकाइयों, स्थानीय निकायों, पंचायतों, प्रशासनिक इकाइयों की सभी संस्थाओं को लोकतांत्रिक बनाने की आवश्यकता है| इतना ही नहीं सत्ता में भागीदारी को भी विस्तृत बनाना है|
सशक्त बनाने की चुनौती——
लोकतंत्र के सामने सबसे बड़ी चुनौती उसे सशक्त बनाने की है| जनता की प्रतिनिधि संस्थाओं और उसके सदस्यों का जनता के प्रति जो व्यवहार है, उसे मजबूत करने की चुनौती बहुत नहीं है|
2. लोकतांत्रिक सुधार की आवश्यकता क्यों पड़ती है?
उत्तर:-
लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था की सबसे बड़ी विशेषता यह होता है कि इसमें अपनी कमजोरियों को सुधारने की क्षमता है| लोकतांत्रिक शासन की चुनौतियों को लोकतांत्रिक सुधार द्वारा डटकर सामना किया जा सकता है| प्रत्येक लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था की अपनी अलग अलग कमजोरियाँ होती है और उसमें अलग अलग लोकतांत्रिक सुधारों की भी आवश्यकता है| लोकतांत्रिक सुधार के द्वारा लोकतंत्र की चुनौतियों या कमजोरियों को दूर किया जा सकता है|
3. लोकतांत्रिक से जनता की अपेक्षाओं का संक्षिप्त विवरण दें—–
उत्तर:-लोकतंत्र को शासन का सर्वश्रेष्ठ रूप माना जाता है| यह जनता का जनता के लिए और जनता द्वारा शासन ही| स्वाभाविक है कि इससे जनता की अपेक्षाएँ भी अधिक होगी| लोकतंत्र से जनता की अपेक्षा यह है कि प्रत्येक व्यक्ति से समान व्यवहार हो| समानता को लोकतांत्रिक व्यवस्था की आत्मा कहा जाता है| लोकतंत्र से जनता को जो सबसे बड़ी अपेक्षा है वह यह है कि उसे आर्थिक समस्याओं से जुझना नहीं पड़े| लोकतंत्र से जनता की एक अपेक्षा यह भी है कि इस शासन व्यवस्था में उनका जीवन सुरक्षित हो| लोकतंत्र में घृणा, स्वार्थ, द्वेष, ईर्ष्या, जैसी बुराइयों के पनपने से नैतिकता समाप्त हो जाती है| लोकतंत्र से जनता की तक अपेक्षा यह भी है कि उसकी शासन व्यवस्था में उसकी गरिमा का भी संवर्धन हो|
4. बिहार में लोकतंत्र की जड़ें कितनी गहरी है?
उत्तर:-
बिहार भी भारतीय लोकतंत्र का एक अंग है| बिहार में लोकतांत्रिक व्यवस्था प्राचीनकाल में ही विद्यमान थी| बिहार के ही वैशाली जिले में लिच्छवियों का गणतंत्र था| लिच्छवियों की शासन प्रणाली गणतांत्रिक पद्धति पर आधारित थी| राज्य की शक्ति जनता में निहित थी| अत: यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगी कि बिहार में लोकतंत्र की जड़ें काफी गहरी थी| भारत की तरह बिहार में भी लोकतंत्र सफलता के मार्ग पर अग्रसर है|
5. गठबंधन की राजनीति लोकतंत्र को कैसे प्रभावित करती है?
उत्तर:-
गठबंधन की राजनीति लोकतंत्र को काफी हद तक प्रभावित करती है| गठबंधन में शामिल राजनीतिक दल अपनी आकांक्षाओं और लाभों की संभावनाओं के मद्देनजर ही गठबंधन करने के लिए प्रेरित होते हैं, जिससे प्रशासन पर सरकार की पकड़ ढीली हो जाती है| नयी लोकसभा में करोड़पति सांसदों की संख्या अबतक के सबसे ऊंचे स्तर पर पहुँच गयी है| सभी पार्टियों में आपराधिक हानि वाले सांसदों की संख्या में इजाफा लोकतंत्र के लिए चुनौती है|
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
1. भारतीय लोकतंत्र की समस्याओं की विवेचना करें-
उत्तर:-
भारतीय लोकतंत्र में समस्याएँ मौजूद है| इनका समाधान संकीर्ण दलीय राजनीति से ऊपर उठकर किया जा सकता है| महंगाई, आर्थिक मंदी, बेरोजगारी, जलवायु परिवर्तन, ग्लोबल वार्मिंग, आंतरिक सुरक्षा, रक्षा तैयारियाँ आदि ऐसे ज्वलंत मुद्दे हैं, जिनपर ध्यान देना जरुरी है| देश की एकता और अखंडता के लिए खतरा बन रही शक्तियों पर परिचर्चा होनी चाहिए| यह खतरा केवल पूर्वोत्तर की अलगाववादी या नक्सली गतिविधियों एवं अवैध शरणार्थियों से ही नहीं, वरन आर्थिक अपराधों से भी है| विदेशी बैंकों में जमा भारतीयों का कालाधन, विदेशी मुद्रा का अवैध आगमन, उच्च एवं न्यायिक पदों पर व्याप्त भ्रष्टाचार, असंतुलन एवं असमानता भारतीय लोकतंत्र को प्रबल चुनौतियाँ है| जनकल्याणकारी योजनाओं के सुचारू क्रियान्वयन, आतंकवाद का मुकाबला आदि समस्याओं को सुलझाने के लिए बेहतर केन्द्र राज्य संबंध की आवश्यकता है| बढ़ती जनसंख्या पर भी नियंत्रण रखना जरुरी है| चुनावों में होनेवाले अंधाधुंध खर्च, अपराधिक पृष्ठभूमि के उम्मीदवारों का चुनाव में जीतना, महिलाओं की सत्ता में कम भागीदारी, शिक्षा का अभाव आदि पर भी ध्यान देना होगा| प्रत्येक चुनौती के साथ सुधार की संभावना जुड़ी हुई है| हर चुनौती का समाधान संभव है| राजनैतिक सुधारों की भी आवश्यकता है| तथा सुधारों के प्रस्ताव में लोकतांत्रिक आंदोलन, नागरिक संगठन तथा मीडिया पर भरोसा करने वाले उपायों के सफल होने की अधिक संभावना होती है|
2. भारतीय लोकतंत्र जनता की उन्नति, सुरक्षा और गरिमा के संवर्द्धन में कहाँ तक सहायक है?
उत्तर:-
लोकतांत्रिक व्यवस्था में जनता अपनी उन्नति की आकांक्षा रखती है और साथ साथ अपनी सुरक्षा एवं गरिमा को बनाए रखने की भी अपेक्षा रखती है| लोकतंत्र कहाँ तक इसमें सहायक है निम्नलिखित तर्कों के द्वारा इसको स्पष्ट किया जा सकता है——-
जनता की उन्नति——-
भारतीय लोकतंत्र का उद्देश्य अपने नागरिकों का अधिकतम कल्याण है| इसे कल्याणकारी स्वरूप प्रदान किया गया है| भारतीय लोकतंत्र को समाजवादी स्वरूप देने के उद्देश्य से ही भारतीय संविधान में राज्य के नीति निर्देशक तत्व के अंतर्गत अनेक प्रावधान किए गए हैं| इन प्रावधानों का उद्देश्य नागरिकों की अधिकतम उन्नति है| ये प्रावधान है——
राज्य के सभी नागरिकों की जीविका के साधन प्राप्त करने का समान अधिकार है| पुरूषों और स्त्रियों को समान कार्यों के लिए समान वेतन मिले|
जनता की सुरक्षा—–
भारतीय लोकतंत्र जनता को सुरक्षा प्रदान करने में भी सफल नहीं हो पा रही है| भारत की जनता आतंकवाद, नक्सलवाद, अपहरण, हत्या, अपराध जैसी घटनाओं से त्रस्त हैं| स्वाभाविक है कि जबतक नागरिकों को जीवन ही सुरक्षित नहीं रहेगा तबतक वे उन्नति के पक्ष पर अग्रसर कैसे हो सकेंगे| भारतीय लोकतंत्र की सबसे बड़ी बड़ी चुन्नौती सुरक्षा की है| ऐसा नहीं है कि भारतीय लोकतंत्र इस चुनौती को नजरअंदाज कर रहा है| सुरक्षा नहीं तो विकास नहीं के कथन से भारतीय लोकतंत्र पूर्णरूपेण अवगत है और भारत को विकास के पथ पर अग्रसर करने के लिए सुरक्षा का पुख्ता इंतजाम करने के लिए सतत् प्रयत्नशील है|
व्यक्ति की गरिमा——-
व्यक्ति की गरिमा के संवर्द्धन के लिए भी भारतीय लोकतंत्र सजग है| जातिवाद, संप्रदायवाद, क्षेत्रवाद, लैंगिक विभेद अमीर गरीब का विभेद, ऊंच नीच का भेदभाव व्यक्ति की गरिमा को ठेस पहुँचाने वाले तत्व है| भारतीय संविधान की प्रस्तावना में ही इसे स्पष्ट कर दिया है कि व्यक्ति की गरिमा को बनाए रखा जाएगा| संविधान ने जातिगत भेदभाव, अस्पृश्यता और अन्य ऐसे भेदभाव का निषेध कर दिया है जिससे समाज में रहनेवाले विभिन्न वर्ग के लोगों में दुर्भावना नहीं पनप सकें| स्पष्ट है कि भारतीय लोकतंत्र के मार्ग में अनेक बाधाओं के रहते हुए भी जनता की उन्नति, सुरक्षा और गरिमा के संवर्द्धन में यह बहुत हद तक सहायक है|
3. लोकतंत्र के विभिन्न पहलुओं पर एक निबंध लिखें——-
उत्तर:-
(1) लोकतंत्र जनता का शासन है| यह शासन का वह स्वरूप है जिसमें जनता को ही शासकों के चयन का अधिकार प्राप्त है|
(2) जनता द्वारा चुने गए प्रतिनिधियों को ही लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था के लिए निर्णय लेने का अधिकार है|
(3) निर्वाचन के माध्यम से जनता को शासकों को बदलने तथा अपनी पसंद व्यक्त करने का बिना किसी भेदभाव के पर्याप्त अवसर और विकल्प प्राप्त होना चाहिए|
(4) विकल्प के प्रयोग के बाद जिस सरकार का गठन किया जाए उसे संविधान में निश्चित किए गए मौलिक नियमों के अनुरूप कार्य करना चाहिए| साथ ही नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा का भी ध्यान रखा जाना चाहिए|
(5) नागरिकों को मताधिकार निर्वाचन में खड़े होने का अधिकार जैसे राजनीतिक अधिकार के अलावा कुछ आर्थिक अधिकार भी दिए जाने चाहिए| जीविका का साधन प्राप्त करने, काम पाने का अधिकार, उचित पारिश्रमिक पाने का अधिकार जैसे आर्थिक अधिकार जबतक नागरिकों को नहीं मिलेंगे तबतक राजनीतिक अधिकार निरर्थक सिद्ध होंगे|
(6) सत्ता में भागीदारी का अवसर सबों को बिना भेदभाव के मिलना चाहिए| सत्ता में जितना अधिक भागीदारी बढ़ेगी, लोकतंत्र उतना ही सशक्त बनेगा|
(7) लोकतंत्र को बहुमत की तानाशाह से दूर रखा जाना चाहिए| अल्पसंख्यक के हितों पर ध्यान देना आज को लोकतंत्र की पुकार है|
(8) लोकतंत्र को सामाजिक भेदभाव से भी दूर रखा जाना चाहिए| इसको जातिवाद, संप्रदायवाद, क्षेत्रवाद, धर्मवाद जैसे भयंकर रोगों से मुक्त किया जाना चाहिए|
4. लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था की कमजोरियों को दूर करने के उपायों का वर्णन करें—-
उत्तर:-
लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था की सबसे बड़ी विशेषता यह होती है कि इसमें अपनी कमजोरियों को सुधारने की क्षमता है| लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था की कमजोरियों को दूर करने के उपाय निम्नलिखित हैं———-
शिक्षा का प्रसार——
शिक्षा का प्रसार कर लोकतंत्र के कमजोरियों को दूर किया जा सकता है| लोकतंत्र के विकास में मार्ग में अशिक्षा सबसे बड़ी बाधा है| इसिलिए शिक्षा का प्रसार किया जा रहा है| भारत सरकार द्वारा 1986 में ही नयी शिक्षा नीति की घोषणा कर शिक्षा के क्षेत्र में सुधार लाया जा रहा है|
बेरोजगारों को रोजगार——–
बेरोजगारी की समस्या भी लोकतंत्र की एक कमजोरी है| अब बेरोजगारी दूर करने के काफी प्रयास किए जा रहे हैं| लघु एवं कुटीर उद्योगों के विकास पर जोर दिया जा रहा है| पंचवर्षीय योजनाओं में बेरोजगारी की समस्या के समाधान पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है|
पंचायती राज——
सतत जागरुकता ही लोकतंत्र को सफलता के मार्ग पर ले जा सकती है| पंचायती राज की स्थापना इसी उद्देश्य से की गई है| ग्राम पंचायतों लोकतंत्र के मुख्य आधार है| ग्राम पंचायतों के कामों में भाग लेने से सामान्य लोगों में भी लोकतंत्र के प्रति दिलचस्पी बढ़ी है|
सुधारात्मक कानूनों का निर्माण——–
लोकतंत्रात्मक सुधार में सुधारात्मक कानूनों के निर्माण की भूमिका महत्वपूर्ण मानी जाती है| सरकार कानून बनाते समय इस बात पर विशेष ध्यान रखती है कि राजनीति पर इसका प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़े तथा वैसे कानूनों का निर्माण हो जिससे जनता के स्वतंत्रता के अधिकार में वृद्धि हो|
आंदोलन हित समूहों और मीडिया की स्वतंत्रता–
लोकतांत्रिक सुधार के लिए लोकतांत्रिक आंदोलनों और संघर्षों, विभिन्न हित समूहों और मीडिया की स्वतंत्रता अवश्य सुनिश्चित की जानी चाहिए|
निष्पक्ष निर्वाचन पद्धति——
देश में निष्पक्ष चुनाव संपन्न कराने के लिए एक निष्पक्ष निर्वाचन आयोग का गठन किया गया है| निष्पक्ष चुनाव पर ही लोकतंत्र का भविष्य निर्भर है| भारत सहित अन्य लोकतांत्रिक देश इन्हीं उपायों से अपनी कमजोरियों को दूर कर सकते हैं लोकतंत्र की चुनौतियों का सामना कर सकते हैं|
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