राजनीतिक दल
अतिलघु उत्तरीय प्रश्न
1. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना कब हुई?
उत्तर:-1885
2. भारतीय जनता पार्टी की स्थापना किनकी अध्यक्षता में हुई?
उत्तर:-
1980 में, श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी की
3. पहली लोकसभा में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी को कितने स्थान प्राप्त हुए थे?
उत्तर:-16
4. नौवीं लोकसभा चुनाव कब हुआ?
उत्तर:-
1989
5. राष्ट्रीय जनता दल का चुनाव चिन्ह क्या है?
उत्तर:- लालटेन
6. वर्तमान में कौन सा दल लोकसभा में विपक्ष की भूमिका निभा रहा है?
उत्तर:-
भारतीय जनता पार्टी
7. दल बदल विरोधी कानून कब बना?
उत्तर:-
1985 में
8. संप्रति उत्तर प्रदेश में किस दल की सरकार है?
उत्तर:- बहुजन समाज पार्टी
लघु उत्तरीय प्रश्न
1. भारतीय दल पद्धति की किन्हीं चार विशेषताओं का उल्लेख करें|
उत्तर:-
बहुदलीय पद्धति——-
भारत बहुदलीय पद्धति का देश है| भारतीय राजनीति में अनेक राष्ट्रीय राज्यस्तरीय तथा क्षेत्रीय दलों का अस्तित्व है|
एक राजनीतिक दल की प्रधानता—–
भारतीय दलीय पद्धति की एक सबसे बढ़ी विशेषता है कि यहाँ एक राजनीतिक दल की ही प्रधानता बनी रहती है|
क्षेत्रीय दलों की प्राथमिकता—–
भारत में अनेक क्षेत्रीय दलों का अस्तित्व बना हुआ है जो सरकार बनाने में निर्णायक भूमिका निभाते हैं|
दल बदल की प्रवृत्ति—–
भारत में अनेक दलीय पद्धति की सबसे बड़ी विशेषता है कि यहाँ दल बदल की प्रवृत्ति गंभीर रूप से विद्यमान है|
2. लोकतंत्र के लिए राजनीतिक दल क्यों आवश्यक है?
उत्तर:-
राजनीतिक दल लोकतंत्र की आधारशिला है| बिना राजनीतिक दल को हम लोकतंत्र की कल्पना भी नहीं कर सकते हैं| जिन देशों में राजनीतिक दलों को कम करने की स्वतंत्रता नहीं रहती वहाँ के नागरिकों को स्वतंत्रता नहीं मिलती| इसी आधार पर राजनीतिक दलों को लोकतंत्र का प्राण कहा जाता है| लोकतंत्र के अंतर्गत राजनीतिक दलों को सरकार का अभिन्न अंग माना जाता है| लोकतंत्र ऐसी शासन व्यवस्था पद्धति है जिसमें शासन जनता के चुने हुए प्रतिनिधियों द्वारा होता है| राजनीतिक दल प्रतिनिधियों के निर्वाचन में मुख्य रूप से भाग लेते हैं| लोकतंत्र के लिए राजनीतिक दल इसिलिए भी आवश्यक है कि राजनीतिक दल ही जनता को राजनीतिक दल इसिलिए भी आवश्यक है कि राजनीतिक दल ही जनता को राजनीतिक प्रशिक्षण देते हैं| वे निरंकुश शासन से लोगों की रक्षा तो करते ही है, साथ ही शासन को बहुमत के अनुकूल बनाने का भी महत्वपूर्ण कार्य करते हैं|
3. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के मुख्य चार कार्यक्रमों का वर्णन करें|
उत्तर:-
(1)देश के प्रत्येक नागरिक के लिए अधिकतम संभव सुरक्षा की गारंटी तथा 2011 तक सभी नागरिकों के लिए राष्ट्रीय पहचान पत्र देना|
(2)राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम लागू करना
(3) ग्रामीण युवाओं के लिए रोजगार के नये अवसरों का सृजन करना
(4) सबों के लिए गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा मुहैया कराना
4. भारतीय जनता पार्टी के किन्हीं चार कार्यक्रमों का उल्लेख करें|
उत्तर:-
(1) राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाना और पोटा को सुधार के साथ लागू करना|
(2) स्वतंत्र सामरिक परमाणु कार्यक्रम के लिए ठोस कदम उठाना|
(3) नारी सशक्तिकरण के साथ साथ दलित, पिछड़े और कमजोर वर्ग, वरिष्ठ नागरिक, विकलांग, अल्पसंख्यक समुदाय के हितों पर विशेष ध्यान देना|
(4) सबके लिए स्वास्थ्य, जनसंख्या स्थिरीकरण, उचित पर्यावरण का निर्माण तथा सुशासन के लिए विशेष कार्यक्रम बनाना|
5. भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के किन्हीं चार कार्यक्रमों का उल्लेख करें|
उत्तर:-
(1) मंडल आयोग की सिफारिशें के अनुरूप पिछड़े वर्गों के लिए नौकरियों में आरक्षण सहित सामाजिक न्याय के लिए व्यापक उपाय किया जाना|
(2) सामाजिक न्याय के लिए उच्च जातियों में आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए 10℅ तथा महिलाओं के लिए 30% स्थान आरक्षित करना|
(3) धार्मिक स्थलों के दुरुपयोग को रोकने के लिए आवश्यक कदम उठाना और सुनियोजित ढंग से होनेवाली सांप्रदायिक दंगों को रोकने के काम को प्राथमिकता देना
(4) लगातार बढ़ रहे घाटे और विदेशी कर्ज को कम करने के लिए आवश्यक कदम उठाना
6. राष्ट्रीय जनता दल के किन्हीं चार कार्यक्रमों का विवेचना करें|
उत्तर:-
(1) किसानों और खेतिहर मजदूरों की आर्थिक हालत में सुधार के लिए उपाय करना
(2) खेती के लिए समुचित सब्सिडी, उत्तम बीज, खाद, डीजल तथा सिंचाई सुविधा मुहैया कराना
(3) सामाजिक न्याय और धर्मनिरपेक्षता के साथ जनमुखी विकास
(4) गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन करनेवालों को प्रति किलो दो रूपये चावल और डेढ़ रूपये गेहूँ उपलब्ध कराना
7. मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के किन्हीं चार कार्यक्रमों का उल्लेख करें—–
(1) केन्द्र राज्य संबंधों को मधुर बनाने के लिए ठोस कदम उठाया जाना
(2) गरीबी, बेरोजगारी और अस्थिरता जैसी समस्याओं का स्थायी समाधान खोजना
(3) राष्ट्रीय एकता एवं अखंडता, सामाजिक न्याय और धर्मनिरपेक्षता के अस्तित्व को बनाए रखना
(4) अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष तथा विश्व बैंक द्वारा निर्देशित आर्थिक नीतियों को बदलना
8. राजनीतिक दलों की आचार संहिता की चार मुख्य बातों का वर्णन करें|
उत्तर:-
राजनीतिक दलों की सहमति से ही आचार संहिता का निर्माण किया गया जिसकी चार मुख्य बातें निम्नलिखित हैं——-
(1) कोई भी राजनीतिक दल या उम्मीदवार चुनाव अभियान की अवधि में ऐसा कुछ कर या कह नहीं सकता जिससे देश में विभिन्न समुदायों के बीच मतभेद बढ़े या तनाव बढ़े
(2) कोई भी राजनीतिक दल दूसरे दलों की आलोचना करता है तो वह राजनीतिक दलों की नीतियों, कार्यक्रमों और उनके द्वारा किए गए कार्यों तक ही सीमित रहनी चाहिए
(3) चुनाव कार्यक्रम की घोषणा और लोकसभा के गठन की अवधि के बीच मंत्री तथा अन्य अधिकारी न तो किसी प्रकार के वित्तीय अनुदानों की घोषणा कर सकते हैं और न ही ऐसी कोई उम्मीद दिला सकते हैं|
(4) सरकारी परिवहन, सरकारी विमान, वाहन, मशीनरी और अधिकारी का उपयोग सत्ता रुढ़ दल को लाभ पहुँचाने के लिए नहीं किया जा सकता|
9. विपक्षी दल सत्तारूढ़ दल को किस प्रकार नियंत्रित करता है?
उत्तर:-
लोकतंत्र में विपक्षी दल के कार्य भी सरकार से कम महत्वपूर्ण नहीं होते| सत्तारूढ़ दल पर अंकुश रखने की आवश्यकता की पूर्ति विपक्षी दल द्वारा ही संभव है| यदि लोकतंत्र में सत्तारूढ़ दल पर उचित नियंत्रण नहीं रखा जाए तो उसके तानाशाह बन जाने का भय बना रहता है| विपक्ष के सदस्य ही उसकी तानाशाही प्रवृत्ति पर अंकुश लगाए रख सकते हैं| सरकार की आलोचना कर, सरकारी निर्णय के विरुद्ध आंदोलन एवं प्रदर्शन कर, मंत्रियों से प्रश्न पूछकर, सदन में कार्य स्थगन प्रस्ताव लाकर तथा आवश्यकता पड़ने पर सरकार के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव लाकर विपक्ष सरकार को नियंत्रित करता रहता है| विपक्षी दलों की आलोचना तथा नियंत्रण के अन्य साधनों के प्रयोग से सत्तारूढ़ दल सजग रहता है|
10. बहुदलीय पद्धति से आप क्या समझते हैं? बहुदलीय पद्धति वाले चार देशों के नाम लिखें|
उत्तर:-
बहुदलीय पद्धति वहाँ होती है जहाँ अनेक राजनीतिक दल होते हैं| बहुदलीय पद्धति में एक राजनीतिक दल की प्रधानता, क्षेत्रीय दलों की अधिकता, सांप्रदायिक दलों का अस्तित्व, दल बदल की प्रवृत्ति इत्यादि होती है| चूंकि बहुदलीय पद्धति में बहुत सारी राजनीतिक पार्टियाँ होती है| चुनाव में किसी एकदल को स्पष्ट बहुमत नहीं आने पर कुछ दल मिलकर सरकार का गठन करते हैं| केंद्र तथा राज्यों में भिन्न भिन्न राजनीतिक दलों की सरकारें होती है| भारत, फ्रांस बहुदलीय पद्धति वाले देश है|
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
1. राजनीतिक दल के प्रमुख कार्यों का उल्लेख करें-
उत्तर:-
जनता को शिक्षित करना——
आज के राजनीतिक माहौल में जनता को राजनीतिक का ज्ञान होना आवश्यक है| राजनीतिक मामलों में जनता को शिक्षित करने का काम राजनीतिक दल ही करते हैं| वे अपना कार्यक्रम नीति और दृष्टिकोण जनता के सामने रखते हैं|
जनमत का निर्माण—–
राजनीतिक दल का एक मुख्य कार्य जनमत का भी निर्माण करना है| जनता के सामने तरह तरह के नारे देते हैं जिससे जनता देश की राजनीतिक समस्याओं पर अपना मत निश्चित कर पाती|
निर्वाचन में भाग लेना—–
राजनीतिक दलों का सबसे मुख्य कार्य चुनाव में भाग लेना है| चुनाव में वे उम्मीदवार खड़े करते हैं तथा अधिक से अधिक सीट जीतकर सरकार का निर्माण करते हैं|
शासन चलाना—–
राजनीतिक दल देश के शासन में मुख्य रूप से भाग लेते हैं| जिस राजनीतिक दल की सरकार बनती है उसे सत्तारूढ़ दल कहा जाता है| लोकतांत्रिक सरकार को राजनीतिक दल की सरकार के नाम से भी पुकारा जाता है|
सरकार की आलोचना करना—–
सत्तारूढ़ दल के अलावा देश में विरोधी दल भी होते हैं| विरोधी दलों का काम सरकार को उनकी गलतियों की ओर ध्यान दिलाना है| वे सरकार की आलोचना करते हैं| इससे सरकार अपने कार्यों के प्रति सजग रहती है|
जनता की शिकायतें सुनना—-
राजनीतिक दलों का काम जनता की शिकायतें सुनना भी है| विरोधी दल जनता की शिकायतें सत्तारूढ़ दल के सामने रखते हैं|सत्तारूढ़ दल उन शिकायतों को दूर करने की कोशिश करता है|
अनुशासन कायम रखना—–
राजनीतिक दलों का एक अन्य कार्य अपने सदस्यों के बीच अनुशासन कायम रखना है| किसी भी राजनीतिक दल की सफलता उसके संगठन एवं अनुशासन पर निर्भर करती है|
2. भारत के किन्हीं चार राजनीतिक दलों का संक्षेप में वर्णन करें—–
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस——
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस भारत का सबसे पुराना राजनीतिक दल है| इसकी स्थापना 1885 में हुई थी| इसके संस्थापक ए०ओ० ह्यूम थे तथा प्रथम अध्यक्ष ब्योमेश चंद्र बनर्जी थे| स्वतंत्रता प्राप्ति के पूर्व कांग्रेस में भिन्न भिन्न राजनीतिक आदर्शों एवं सिद्धांतों में विश्वास रखने वाले व्यक्ति सम्मिलित थे| यह संपूर्ण देश एवं सभी हितों के प्रतिनिधित्व का दावा करती थी| स्वतंत्रता दिलाने का श्रेय कांग्रेस को ही दिया जा सकता है|
भारतीय जनता पार्टी——
1977 में जनता पार्टी का गठन हुआ था जो कई दलों के विलयन का परिणाम था| जनसंघ भी उनमें एक था| 6 अप्रैल 1980 को जनसंघ ने जनता पार्टी से अपना नाता तोड़ लिया| श्री अटल बिहारी वाजपेयी की अध्यक्षता में एक नई पार्टी का गठन हुआ जिसका नाम भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) रखा गया|
बहुजन समाज पार्टी—–
बहुजन समाज पार्टी भी एक राष्ट्रीय दल है| 1984 में इस दल की स्थापना स्व० कांशीराम के नेतृत्व में हुआ था| समाज में दलित और कमजोर वर्ग के लोगों के हितों की रक्षा एवं कल्याण हेतु इस दल का गठन किया गया| संप्रति उत्तर प्रदेश में सुश्री मायावती के मुख्यमंत्री में इस दल की सरकार गठित है|
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी——-
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की स्थापना 1925 में हुई थी| परन्तु 1943 तक इस दल को भारत सरकार ने गैर कानूनी घोषित कर रखा था| स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद इस दल ने सांविधानिक तरीकों पर चलकर प्रथम सामान्य निर्वाचन में अपने उम्मीदवार को खड़ा करने का निश्चय किया| 1962 में इस दल का विभाजन हो गया और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के नाम से एक नये दल का गठन हुआ| विभाजन के परिणामस्वरूप धीरे धीरे इसकी लोकप्रियता घटने लगी|
3. लोकतंत्र में विपक्षी दलों की भूमिका का विवेचना करें——
उत्तर:-
लोकतंत्र की सफलता की आवश्यक शर्तों में एक शर्त यह भी है कि एक संगठित विपक्षी दल अवश्य रहे| लोकतंत्र में विपक्षी दल के कार्य भी सरकार से कम महत्वपूर्ण नहीं होते| दो चुनाव के बीच सत्तारूढ़ दल पर अंकुश रखने की आवश्यकता पड़ती है| इस आवश्यकता की पूर्ति विपक्ष द्वारा ही संभव है| यदि लोकतंत्र में सत्तारूढ़ दल पर उचित नियंत्रण नहीं रखा जाए तो उसके तानाशाह बन जाने का भय बना रहता है| विपक्ष के सदस्य ही उसकी तानाशाही प्रवृत्ति पर अंकुश लगाए रख सकते हैं| सरकार की आलोचना कर सरकारी निर्णय के विरुद्ध आंदोलन एवं प्रदर्शन कर, मंत्रियों से प्रश्न पूछकर सदन में कार्य स्थगन प्रस्ताव लाकर तथा आवश्यकता पड़ने पर सरकार के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव लाकर विपक्ष सरकार को नियंत्रित करता है| कानून निर्माण में भी विपक्ष की भूमिका महत्वपूर्ण होती है| बजट पारित में कटौती का प्रस्ताव पेश कर सकते हैं| विपक्षी दलों की आलोचना तथा नियंत्रण के अन्य साधनों के प्रयोग से सत्तारूढ़ दल सजग रहता है| उसे यह सोचने के लिए बाध्य होना पड़ता है कि उसके द्वारा कोई ऐसे कदम नहीं उठाए जाए जिनका लाभ उठाकर विपक्ष जनता को अपने पक्ष में कर ले| ऐसा होने पर उसे चुनाव में असफलता हाथ लग सकती है| स्पष्ट है कि लोकतंत्र की रक्षा में विपक्ष एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है| विपक्ष की भूमिका के भय से सत्तारूढ़ दल अपनी गलतियों को सुधारने के लिए विवश हो जाता है|
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