प्रश्नावली-13.5 (ऐच्छिक)
1. 3mm व्यास वाले तांबे के तार को 12 सेमी लंबे और 10 सेमी व्यास वाले एक बेलन पर इस प्रकार लपेटा जाता है कि वह बेलन के वक्र पृष्ठ को पूर्णतया ढ़क लेता है| तार की लंबाई और द्रव्यमान ज्ञात कीजिए, यह मानते हुए कि तांबे का घनत्व 8.88 ग्राम प्रति सेमी3 है|
उत्तर::–
लंबवृत्तीय बेलन की ऊँचाई h=12cm
और व्यास=10cm त्रिज्या=10/2=5cm
लंबवृत्तीय बेलन का वक्र पृष्ठीय क्षेत्रफल
=2πrh=2π×5×12=120π
एक बार तार को बेलन पर लपेटने पर घेरे गए बेलन के वक्र पृष्ठीय क्षेत्रफल का 3 cm भाग तथा बेलन की
16
लंबाई 12cm है|
12cm लंबाई को तार द्वारा लगाए गए चक्कर की संख्या
=12× 10 =40
3
एक चक्कर पूरा करने में तार की लंबाई
=2πr=2π×5=10π
40 चक्कर में तार की लंबाई
l =2πr=2π×5×40=400π
=400×3.14=1256=12.56m
तांबे के तार का आयतन
=πr2l=3.14×( 3 )2×12.56
20
=3.14× 9 ×12.56=88.7364
400
तांबे के तार का द्रव्यमान
=88.7364×8.88=787.979
तार की अभीष्ट लंबाई एवं द्रव्यमान 12.56, 787.979
2. एक समकोण त्रिभुज, जिसकी भुजाएँ 3 सेमी और 4 सेमी है (कर्ण के अतिरिक्त), को उसके कर्ण के परित: घुमाया जाता है| इस प्रकार तप्त द्वि शंकु के आयतन और पृष्ठीय क्षेत्रफल ज्ञात कीजिए|(π का मान जो भी उपयुक्त लगे उपयोग कीजिए)
उत्तर:—
माना कि ABC समकोण त्रिभुज है जिसका कोण BAC=90° है और भुजाएँ AB=3CM और AC=4CM है| इस समकोण त्रिभुज ABC को कर्ण BC के परित: घुमाए जाने पर प्राप्त द्वि शंकु संलग्न आकृति है|
समकोण ABC में,
BC=√(3)2+(4)2=√9+16=√25
=5CM —–(1)
द्वि शंकु की त्रिज्या AO है जो इनके उभयनिष्ठ आधार की त्रिज्या है|
AO = AB = AO = 3
CA CB 4 5
AO= 12 —–(2)
5
OB = AB = OB = 3
AB CB 3 5
OB= 9 —–(3)
5
द्वि शंकु का आयतन
= 1 π( 12 )2× 9 + 1 π( 12 )2× 16
3 5 5 3 5 5
= π ( 12 )( 9 + 16 )= 3.14×144
3 5 5 5 3×5
=30.144CM3
द्वि शंकु का संपूर्ण पृष्ठीय क्षेत्रफल
=(3.14× 12 ×3+3.14× 12 ×4)
5 5
=3.14× 12 (3+4)=3.14× 12 ×7=52.75
5 5
3. एक टंकी, जिसके आंतरिक मापन 150 सेमी× 120 सेमी× 110 सेमी है, में 129600 सेमी3 पानी है| इस पानी में कुछ छिद्र वाली ईंटें तब तक डाली जाती है, जब तक कि टंकी पूरी ऊपर भर न जाए| प्रत्येक ईंट अपने आयतन का 1/17 पानी सोख लेती है| यदि प्रत्येक ईंट की माप 22.5 सेमी× 7.5 सेमी× 6.5 सेमी है, तो टंकी में कुल कितनी ईंटें डाली जा सकती है, ताकि उसमें से पानी बाहर न बहे?
उत्तर::—
टंकी की आंतरिक धारिता
=150×120×110=1980000 —-(1)
एक ईंट का आयतन
=22.5×7.5×6.5=1096.875 —(2)
माना कि इस टंकी में x ईंटें डाली जाती है ताकि टंकी में से पानी की बाहर न बहे| अत: x ईंटों द्वारा सोखे गए पानी का आयतन
= 1 ×1096.875 —–(3)
17
इस टंकी में पहले से भरे पानी का आयतन
=129600
टंकी में से पानी बाहर नहीं बहना चाहिए
टंकी की आंतरिक धारिता= टंकी में पहले से भरा पानी+ x ईंटों का आयतन – x ईंटों द्वारा सोखे गए पानी का आयतन
=1980000=129600+1096.875x – 1
17
(1096.875x)
=1980000-129600=(1096.875-64.52)x
x= 1850400 =1792.4069
1032.355
4. किसी महीने के 15 दिनों में, एक नदी की घाटी में 10 सेमी वर्षा हुई| यदि इस घाटी का क्षेत्रफल 97280 किमी2 है, तो दर्शाइए कि कुल वर्षा लगभग तीन नदियों के सामान्य पानी के योग के समतुल्य थी, जबकि प्रत्येक नदी 1072 किमी लंबी, 75 चौड़ी और 3 मी गहरी है|
उत्तर:–
किसी महीने 15 दिनों में एक नदी घाटी में हुई वर्षा=10 सेमी
उस नदी घाटी का क्षेत्रफल=97280 किमी 2
उस नदी घाटी में हुई वर्षा की मात्रा=
97280× 10 किमी
100000
वर्षा के कारण जल स्तर में वृद्धि=9.728
उस नदी घाटी में एक दिन में हुई वर्षा की मात्रा
= 9.728 =0.64 किमी3
15
एक नदी के सामान्य पानी की मात्रा=
1072× 75 × 3 =0.2412
1000 1000
ऐसे तीन नदियों का सामान्य पानी की मात्रा=
0.2412×3=0.7236 किमी 3
परिणाम=0.7236-0.2412=0.0746
5. टीन की बनी हुई एक तेल की कुम्पी 10 सेमी लंबे एक बेलन में एक शंकु के छिन्नक को जोड़ने से बनी हुई है| यदि इसकी कुल ऊंचाई 22 सेमी है, बेलनाकार भाग का व्यास 8 सेमी है और कुप्पी के ऊपरी सिरे का व्यास 18 सेमी है, तो इसके बनाने में लगी टीन 8 सेमी है और कुप्पी के ऊपरी सिरे का व्यास 18 सेमी है, तो इसके बनाने में लगी टीन की चादर का क्षेत्रफल ज्ञात कीजिए (देखिए आकृति 13.25) |
उत्तर:—
कुप्पी की कुल ऊंचाई=22cm
बेलनाकार भाग की लंबाई=10cm
शंकु के छिन्नक की ऊंचाई h=22-10=12cm
ऊपरी सिरे का व्यास 18cm त्रिज्या 18/2=9
निचले सिरे की त्रिज्या=बेलन की त्रिज्या 8/2=4
शंकु के छिन्नक की तिर्यक ऊंचाईl=√h2+(R-r)2
l=√(12)2+(9-4)2=√144+25=√169=13
शंकु के छिन्नक का पृष्ठीय क्षेत्रफल=π(R+r)l
= 22 (9+4)×13= 22 ×13×13 —(1)
7 7
बेलनाकार भाग का पृष्ठीय क्षेत्रफल=2πrh
=2× 22 ×4×10 —-(2)
7
इस कुप्पी में प्रयुक्त टीन की चादर का क्षेत्रफल= शंकु के छिन्नक का पृष्ठीय क्षेत्रफल+ बेलनाकार भाग का पृष्ठीय क्षेत्रफल
=( 22 ×13×13+2× 22 ×4×20)
7 7
= 22 (169+80) = 22 ×249= 5478
7 7 7
6. शंकु के एक छिन्नक के लिए, पूर्व स्पष्ट किए ताकि संकेतों का प्रयोग करते आ, वक्र पृष्ठीय क्षेत्रफल और संपूर्ण पृष्ठीय क्षेत्रफल के उन सूत्रों को सिद्ध कीजिए, जो पाठ्यपुस्तक के पृष्ठ 277 के अनुच्छेद 13.5 में दिए गए हैं|
उत्तर:—
माना कि h ऊंचाई तिर्यक ऊंचाई l तथा R व r शंकु के छिन्नक ABDC के आधार की त्रिज्याएं है| अब हम शंक्वाकार भाग OCD को पूरा करते हैं जिसे खंडित (कटी) रेखा खंडों द्वारा दर्शाया गया है| स्पष्टतः लंबवृत्तीय शंकु के छिन्नक ABDC को हम दो लंबवृत्तीय शंकुओं AOB और COD के अंतर के रूप में पाते हैं| शंकु AOB की ऊंचाई और तिर्यक ऊंचाई क्रमशः h और L है| अर्थात OP=h और OA=OB=L है| शंकु COD की ऊंचाई H-h होगी|
समकोण ∆DEB में
BD2=BE2+ED2=l2=(R-r)2+h2
l=√(R-r)2+h2
∆OQD~∆OPB
OD = DQ = OQ
OB BP OP
= L-l = r
L R
LR-lR=Lr
L(R-r)=lR L= lR
R-r
L-r= lR -1
R-r
L-l= lr
R-r
शंकु के छिन्नक का पृष्ठीय क्षेत्रफल= लंबवृत्तीय शंकु AOB का वक्र पृष्ठीय क्षेत्रफल – लंबवृत्तीय शंकु COD का वक्र पृष्ठीय क्षेत्रफल
πRL-πr(L-l)
=πR lR – πr lr
R-r R-r
πl( R2-r2 ) =πl(R+r)
R-r
शंकु के छिन्नक का वक्र पृष्ठीय क्षेत्रफल
=πl(R+r)
l=√h2+(R-r)2
शंकु के छिन्नक का संपूर्ण पृष्ठीय क्षेत्रफल
शंकु के छिन्नक का वक्र पृष्ठीय क्षेत्रफल+ निचले सिरे का क्षेत्रफल+ ऊपरी सिरे का क्षेत्रफल
=πl(R+r)+πR2+πr2
=π{(R+r)l+R2+r2}
7. शंकु के छिन्नक के लिए, पूर्व स्पष्ट किए संकेतों का प्रयोग करते हुए, आयतन का वह सूत्र सिद्ध कीजिए, जो पाठ्यपुस्तक के पृष्ठ 277 के अनुच्छेद 13.5 में दिया गया है|
उत्तर:—
माना कि h ऊंचाई तथा R, r(R>r) शंकु छिन्नक ABDC के आधार (निचले व ऊपरी सिराओं) की त्रिज्याएं है| अब हम शंक्वाकार OCD को पूरा करते हैं जिसे खंडित (कटी हुई) रेखा खंडों द्वारा यहाँ दर्शाया गया है| स्पष्टतः लंबवृत्तीय शंकु के छिन्नक ABDC को हम दो लंबवृत्तीय शंकुओं OAB और OCD के अंतर के रूप में पाते हैं|
माना कि शंकु OAB की ऊंचाई h’ है|OP=h’
शंकु OCD की ऊंचाई=h’-h
∆OQD~∆OPD
OQ = QD => h’-h = r
OP PB h’ R
h =1- r =h’= hR —–(1)
h’ R R-r
शंकु OCD की ऊंचाई=h’-h= hR -h= hr
R-r R-r
शंकु के छिन्नक ABDC का आयतन=
शंकु OAB का आयतन -शंकु OCD का आयतन
= 1 πR2h’ – 1 πr2(h’-h)
3 3
= 1 π(R2× hR – r2×hr )
3 R-r R-r
1 πh( R3-r3 ) = 1 πh(R2+R•r+r2)
3 R-r 3
शंकु के छिन्नक का आयतन=
1 πh(R2+R•r+r2)
3
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